Thursday, March 20, 2014

face scre removal ointment based on indian ayurveda

मुंहासों के दाग-धब्बे के लिए घरेलू नुस्खे ------------
*टमाटर के रस में रुई भिगोकर दागो पर मलें। या टमाटर में नींबू की दस-बारह बूंदे मिलाएं इस मिश्रण को चेहरे पर मलने से दाग- धब्बे दूर होते हैं।
*जायफल को घिसकर दस पीसी काली मिर्च व थोड़े कच्चे दूध में मिलाकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। दो घंटे बाद चेहरा धो लें।
*मसूर की दाल और बरगद के पेड़ की नर्म पत्तियां पीसकर लेप करें
*सूखी हल्दी की गांठ को नींबू के रस में घिस कर लगाने से भी दाग- धब्बे तेजी से मिटने लगते हैं।
*त्वचा पर जहां पर चकते हो उन पर नींबू का टुकड़ा रगड़े या नींबू में फिटकरी भरकर रगड़े। इससे चकते हल्के पड़ जाएंगे और त्वचा में निखार आएगा।

cement vs chuna - construction with chuna is more more durable

सीमेंट की सत्यता
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क्या आप को पता है सिमेन्ट की अधिकतम जिन्दगी सिर्फ 100 साल है ? और कुछ वैगानिको का कहना है अगर क्रेक्स को आधार बनाया जाये तो सिमेन्ट की जिन्दगी 5 साल भी नही है | भारत के सारे पुराने किले चुने से बना है और चुने की नुन्यतम जिन्दगी 500 साल है और अधिकतम जिन्दगी 2000 से 2500 साल | चुना और सिमेन्ट की raw मटेरिअल एक ही है | आज से 150 साल पहले तक भारत के जादातर घर चुने से बनते थे नही तोह मिटटी से | लिकिन पिछले हजारो साल में चुना बनाने की जो तकनीक विकसित हुई अंग्रेजो ने उसे ban किया | और एक कानून बना दिया गया के चुने का काम करना गैरकानूनी है और सिमेन्ट से घर बनाना क़ानूनी है | कारन अंग्रेजो को अंपने देश का सिमेन्ट बिकवाना था और चुने की इंडस्ट्री को ख़तम करना था | भारत मे पहले चुना बनाने के छोटे छोटे केंद्र होते थे लगभग हर गाँव में एक | सिमेन्ट बनाने की जो तकनीक है वो इतना जटिल है के कोइ गाँव में नही बन सकता इसके लिए बहुत energy चाहिए पर चुना बनाने के लिए कुछ नही चाहिए | सिमेन्ट बनाने के लिए बिजली चाहिए , बिजली के लिए कोयला निकलना है , कोयले के साथ पानी भी चाहिए , पानी हमको खेती और पिने के लिए चाहिए लेकिन वो कहते है पहले बिजली के लिए चाहिए, पानी एकाठा करने के लिए नदी में बांध देना चाहिए, और बांध टूट जाये तो बाड़ ही बाड़ | इससे अच्छा तोह भारत की तकनीक है जिसमे lime stone , दूध और एक बैल चाहिए बस |
पाखंड को ख़त्म करने के लिए जड़ में जा जाकर तर्क और वितर्क करके ख़त्म कर दो
लुट को जड़ से ख़त्म कर दो आने वाले समय में मुश्किले कम होगी

Monday, March 17, 2014

मुलेठी , ज्येष्ठी मधु- mulethi

मुलेठी , ज्येष्ठी मधु ---
मुलेठी बहुत गुणकारी औषधि है। मुलेठी के प्रयोग करने से न सिर्फ आमाशय के विकार बल्कि गैस्ट्रिक अल्सर के लिए फायदेमंद है। इसका पौधा 1 से 6 फुट तक होता है। यह मीठा होता है इसलिए इसे ज्येष्ठीमधु भी कहा जाता है। असली मुलेठी अंदर से पीली, रेशेदार एवं हल्की गंधवाली होती है। यह सूखने पर अम्ल जैसे स्वाद की हो जाती है। मुलेठी की जड़ को उखाड़ने के बाद दो वर्ष तक उसमें औषधीय गुण विद्यमान रहता है। ग्लिसराइजिक एसिड के होने के कारण इसका स्वाद साधारण शक्कर से पचास गुना अधिक मीठा होता है।
मुलेठी के गुण -
- यह ठंडी प्रकृति की होती है और पित्त का शमन करती है .
- मुलेठी को काली-मिर्च के साथ खाने से कफ ढीला होता है। सूखी खांसी आने पर मुलेठी खाने से फायदा होता है। इससे खांसी तथा गले की सूजन ठीक होती है।
- अगर मुंह सूख रहा हो तो मुलेठी बहुत फायदा करती है। इसमें पानी की मात्रा 50 प्रतिशत तक होती है। मुंह सूखने पर बार-बार इसे चूसें। इससे प्‍यास शांत होगी।
- गले में खराश के लिए भी मुलेठी का प्रयोग किया जाता है। मुलेठी अच्‍छे स्‍वर के लिए भी प्रयोग की जाती है।
- मुलेठी महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। मुलेठी का एक ग्राम चूर्ण नियमित सेवन करने से वे अपनी सुंदरता को लंबे समय तक बनाये रख सकती हैं।
- लगभग एक महीने तक , आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण सुबह शाम शहद के साथ चाटने से मासिक सम्बन्धी सभी रोग दूर होते है.
- फोड़े होने पर मुलेठी का लेप लगाने से जल्दी ठीक हो जाते है.
- रोज़ ६ ग्रा. मुलेठी चूर्ण , ३० मि.ली. दूध के साथ पिने से शरीर में ताकत आती है.
- लगभग ४ ग्रा. मुलेठी का चूर्ण घी या शहद के साथ लेने से ह्रदय रोगों में लाभ होता है.
- इसके आधा ग्राम रोजाना सेवन से खून में वृद्धि होती है.
- जलने पर मुलेठी और चन्दन के लेप से शीतलता मिलती है.
- इसके चूर्ण को मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है.
- मुलेठी का टुकड़ा मुंह में रखने से कान का दर्द और सूजन ठीक होता है.
- उलटी होने पर मुलेठी का टुकडा मुंह में रखने पर लाभ होता है.
- मुलेठी की जड़ पेट के घावों को समाप्‍त करती है, इससे पेट के घाव जल्‍दी भर जाते हैं। पेट के घाव होने पर मुलेठी की जड़ का चूर्ण इस्‍तेमाल करना चाहिए।
- मुलेठी पेट के अल्‍सर के लिए फायदेमंद है। इससे न केवल गैस्ट्रिक अल्सर वरन छोटी आंत के प्रारम्भिक भाग ड्यूओडनल अल्सर में भी पूरी तरह से फायदा करती है। जब मुलेठी का चूर्ण ड्यूओडनल अल्सर के अपच, हाइपर एसिडिटी आदि पर लाभदायक प्रभाव डालता है। साथ ही अल्सर के घावों को भी तेजी से भरता है।
- खून की उल्टियां होने पर दूध के साथ मुलेठी का चूर्ण लेने से फायदा होता है। खूनी उल्‍टी होने पर मधु के साथ भी इसे लिया जा सकता है।
- हिचकी होने पर मुलेठी के चूर्ण को शहद में मिलाकर नाक में टपकाने तथा पांच ग्राम चूर्ण को पानी के साथ खिला देने से लाभ होता है।
- मुलेठी आंतों की टीबी के लिए भी फायदेमंद है।
- ये एक प्रकार की एंटीबायोटिक भी है इसमें बैक्टिरिया से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। यह शरीर के अन्‍दरूनी चोटो में भी लाभदायक होती है।
- मुलेठी के चूर्ण से आँखों की शक्ति भी बढ़ती है सुबह तीन या चार ग्राम खाना चाहिये।
- यदि भूख न लगती हो तो एक छोटा टुकड़ा मुलेठी कुछ देर चूसे, दिन में ३,४, बार इस प्रक्रिया को दोहरा ले ,भूख खुल जाएगी .
- कोई भी समस्या न हो तो भी कभी-कभी मुलेठी का सेवन कर लेना चाहिए आँतों के अल्सर ,कैंसर का खतरा कम हो जाता है तथा पाचनक्रिया भी एकदम ठीक रहती है

Wednesday, March 12, 2014

Honey And Ayurveda - how to use honey

शहद का सेवन करने के नियम -----
शहद का सेवन करने के नियम -----
शहद कभी खराब नहीं होता . यह पका पकाया भोजन है और तुरंत ऊर्जा देने वाला है , पर इसे लेते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए |

- अमरुद , गाना , अंगूर और खट्टे फलों के साथ शहद अमृत के सामान है |

- चाय कॉफ़ी के साथ शहद ज़हर के सामान है |

- शहद को आग पर कभी ना तपाये |

- मांस -मछली के साथ शहद का सेवन ज़हर के सामान है |

- शहद में पानी या दूध बराबर मात्रा में हानि कारक है |

- चीनी के साथ शहद मिलाना अमृत मेंज़हर मिलाने के सामान है |

- एक साथ अधिक मात्रा में शहद लेनासेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है .दिन में २ या ३ बार एक चम्मच शहद लें |

- घी , तेल , मक्खन में शहद ज़हर के सामान है |

- शहद खाने से कोई परेशानी महसूस हो तो निम्बू का सेवन करें |

- समान मात्रा में घी और शहद ज़हर होता है |

- अलग अलग वृक्षों पर लगे छत्तों में प्राप्त शहद के अलग अलग औषधीय गुण होंगे . जैसे नीम पर लगा शहद आँखों के लिए , जामुन का डायबिटीज़ और सहजन का ह्रदय , वात और रक्तचाप के लिए अच्छा होता है |

- शीतकाल या बसंतऋतु में विकसित वनस्पति के रस में से बना हुआ शहद उत्तम होता है और गरमी या बरसात में एकत्रित किया हुआ शहद इतना अच्छा नही होता है। गांव या नगर में मुहल्लों में बने हुए शहद के छत्तों की तुलना में वनों में बनें हुए छत्तों का शहद अधिक उत्तम माना जाता है।

- शहद पैदा करनें वाली मधुमक्खियों के भेद के अनुसार वनस्पतियों की विविधता केकारण शहद के गुण, स्वाद और रंग मेंअंतर पड़ता है।

- शहद सेवन करने के बाद गरम पानी भी नहीं पीना चाहिए।

- मोटापा दूर करने के लिए गुनगुने पानी में और दुबलापन दूर करने के लिए गुनगुने दूध के साथ ले |

- अधिक धुप में शहद ना दे . गरमी से पीड़ित व्यक्ति को गरम ऋतु में दिया हुआ शहद जहर की तरह कार्य करता है।

- शहद को जिस चीज के साथ लिया जाये उसी तरह के असर शहद में दिखाई देते है। जैसे गर्म चीज के साथ लें तो- गर्म प्रभाव और ठंडी चीज के साथ लेने से ठंडा असर दिखाई देता है। इसलिए मौसम के अनुसार वस्तुएं शहद के साथ ले |

- ज्यादा मात्रा में शहद का सेवन करने से ज्यादा हानि होती है। इससे पेट में आमातिसार रोग पैदा हो जाता है और ज्यादा कष्ट देता है। इसका इलाज ज्यादा कठिन है। फिर भी यदि शहद के सेवन से कोई कठिनाई हो तो 1 ग्राम धनिया का चूर्ण सेवन करके ऊपर से बीस ग्राम अनार का सिरका पी लेना चाहिए।
-बच्चे बीस से पच्चीस ग्राम और बड़े चालीस से पचास ग्राम से अधिक शहद एक बार में न सेवन करें। लम्बे समय तक
अधिक मात्रा में शहद का सेवन न करें।

- चढ़ते हुए बुखार में दूध, घी, शहद का सेवन जहर के तरह है।

-यदि किसी व्यक्ति ने जहर या विषाक्त पदार्थ का सेवन कर लिया हो उसे शहद खिलाने से जहर का प्रकोप एक-दम बढ़कर मौत तक हो सकती है।
शहद कभी खराब नहीं होता . यह पका पकाया भोजन है और तुरंत ऊर्जा देने वाला है , पर इसे लेते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए |
- अमरुद , गाना , अंगूर और खट्टे फलों के साथ शहद अमृत के सामान है |
- चाय कॉफ़ी के साथ शहद ज़हर के सामान है |
- शहद को आग पर कभी ना तपाये |
- मांस -मछली के साथ शहद का सेवन ज़हर के सामान है |
- शहद में पानी या दूध बराबर मात्रा में हानि कारक है |
- चीनी के साथ शहद मिलाना अमृत मेंज़हर मिलाने के सामान है |
- एक साथ अधिक मात्रा में शहद लेनासेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है .दिन में २ या ३ बार एक चम्मच शहद लें |
- घी , तेल , मक्खन में शहद ज़हर के सामान है |
- शहद खाने से कोई परेशानी महसूस हो तो निम्बू का सेवन करें |
- समान मात्रा में घी और शहद ज़हर होता है |
- अलग अलग वृक्षों पर लगे छत्तों में प्राप्त शहद के अलग अलग औषधीय गुण होंगे . जैसे नीम पर लगा शहद आँखों के लिए , जामुन का डायबिटीज़ और सहजन का ह्रदय , वात और रक्तचाप के लिए अच्छा होता है |
- शीतकाल या बसंतऋतु में विकसित वनस्पति के रस में से बना हुआ शहद उत्तम होता है और गरमी या बरसात में एकत्रित किया हुआ शहद इतना अच्छा नही होता है। गांव या नगर में मुहल्लों में बने हुए शहद के छत्तों की तुलना में वनों में बनें हुए छत्तों का शहद अधिक उत्तम माना जाता है।
- शहद पैदा करनें वाली मधुमक्खियों के भेद के अनुसार वनस्पतियों की विविधता केकारण शहद के गुण, स्वाद और रंग मेंअंतर पड़ता है।
- शहद सेवन करने के बाद गरम पानी भी नहीं पीना चाहिए।
- मोटापा दूर करने के लिए गुनगुने पानी में और दुबलापन दूर करने के लिए गुनगुने दूध के साथ ले |
- अधिक धुप में शहद ना दे . गरमी से पीड़ित व्यक्ति को गरम ऋतु में दिया हुआ शहद जहर की तरह कार्य करता है।
- शहद को जिस चीज के साथ लिया जाये उसी तरह के असर शहद में दिखाई देते है। जैसे गर्म चीज के साथ लें तो- गर्म प्रभाव और ठंडी चीज के साथ लेने से ठंडा असर दिखाई देता है। इसलिए मौसम के अनुसार वस्तुएं शहद के साथ ले |
- ज्यादा मात्रा में शहद का सेवन करने से ज्यादा हानि होती है। इससे पेट में आमातिसार रोग पैदा हो जाता है और ज्यादा कष्ट देता है। इसका इलाज ज्यादा कठिन है। फिर भी यदि शहद के सेवन से कोई कठिनाई हो तो 1 ग्राम धनिया का चूर्ण सेवन करके ऊपर से बीस ग्राम अनार का सिरका पी लेना चाहिए।
-बच्चे बीस से पच्चीस ग्राम और बड़े चालीस से पचास ग्राम से अधिक शहद एक बार में न सेवन करें। लम्बे समय तक
अधिक मात्रा में शहद का सेवन न करें।
- चढ़ते हुए बुखार में दूध, घी, शहद का सेवन जहर के तरह है।
-यदि किसी व्यक्ति ने जहर या विषाक्त पदार्थ का सेवन कर लिया हो उसे शहद खिलाने से जहर का प्रकोप एक-दम बढ़कर मौत तक हो सकती है।

Tuesday, March 11, 2014

जीरा -----

जीरा -----
जीरा -----

जीरा एक ऐसा मसाला है जिसके छौंक से दाल और सब्जियों का स्वाद बहुत बढ़ जाता है। चाट का चटपटा स्वाद भी जीरे के बिना अधूरा सा लगता है। अंग्रेजी में इसे क्यूमिन कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम क्यूमिनम सायमिनम है। यह पियेशी परिवार का एक पुष्पीय पौधा है। मुख्यत: पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक इसकी पैदावार अधिक होती है।

दिखने में सौंफ के आकार का दिखाई देने वाला जीरा सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता यह बहुत उपयोगी भी है। यही कारण है कि कई रोगों में दवा के रूप में भी जीरे का उपयोग किया जा सकता है। आइए देखते हैं घरेलू नुस्खे के रूप में किन रोगों के उपचार के लिए जीरा उपयोगी है......

- जीरा आयरन का सबसे अच्छा स्रोत है। इसे नियमित रूप से खाने से खून की कमी दूर हो जाती है। गर्भवती महिलाओं के लिए जीरा अमृत का काम करता है। 

- जीरा, अजवाइन, सौंठ, कालीमिर्च, और काला नमक अंदाज से लेकर इसमें घी में भूनी हींग कम मात्रा में मिलाकर खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है। पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

- जीरा, अजवाइन और काला नमक का चूर्ण बनाकर रोजाना एक चम्मच खाने से तेज भूख लगती है।

- 3 ग्राम जीरा और 125 मि.ग्रा. फिटकरी पोटली में बांधकर गुलाब जल में भिगो दें। आंख में दर्द होने पर या लाल होने पर इस रस को टपकाने से आराम मिलता है।

- दही में भुने जीरे का चूर्ण मिलाकर खाने से डायरिया में आराम मिलता है।

- जीरे को नींबू के रस में भिगोकर नमक मिलाकर खाने से जी मिचलाना बंद हो जाता है।

- जीरा में थोड़ा-सा सिरका डालकर खाने से हिचकी बंद हो जाती है। 

- जीरे को गुड़ में मिलाकर गोलियां बनाकर खाने से मलेरिया में लाभ होता है।

- एक चुटकी कच्चा जीरा खाने से एसिडिटी में तुरंत राहत मिलती है।

- डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए एक छोटा चम्मच पिसा जीरा दिन में दो बार पानी के साथ लेने से लाभ होता है। 

- कब्जियत की समस्या हो तो जीरा, काली मिर्च, सौंठ और करी पाउडर को बराबर मात्रा में लें और मिश्रण तैयार कर लें। इसमें स्वादानुसार नमक डालकर घी में मिलाएं और चावल के साथ खाएं।राहत मिलेगी।

- पके हुए केले को मैश करके उसमें थोड़ा-सा जीरा मिलाकर रोजाना रात के खाने के बाद लें। अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी।

- इसमें एंटीसेप्टिक तत्व भी पाया जाता है। सीने में जमे हुए कफ को बाहर निकलने के लिए जीरे को पीसकर फांक लें। यह सर्दी-जुकाम से भी राहत दिलाता है। 

- हींग को उबाल लें। इस पानी में जीरा, पुदीना, नींबू और नमक मिलाकर पिलाने से हिस्टीरिया के रोगी को तत्काल लाभ होता है।

- थायराइड (गले की गांठ) में एक कप पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच जीरा पाउडर मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

- मेथी, अजवाइन, जीरा और सौंफ 50-50 ग्राम और स्वादानुसार काला नमक मिलाकर पीस लें। एक चम्मच रोज सुबह सेवन करें। इससे शुगर, जोड़ों के दर्द और पेट के विकारों से आराम मिलेगा। 

- प्रसूति के पश्चात जीरे के सेवन से गर्भाशय की सफाई हो जाती है।

- खुजली की समस्या हो तो जीरे को पानी में उबालकर स्नान करें। राहत मिलेगी। 

- एक गिलास ताजी छाछ में सेंधा नमक और भुना हुआ जीरा मिलाकर भोजन के साथ लें। इससे अजीर्ण और अपच से छुटकारा मिलेगा।

- आंवले की गुठली निकालकर पीसकर भून लें। फिर उसमें स्वादानुसार जीरा, अजवाइन, सेंधा नमक और थोड़ी-सी भुनी हुई हींग मिलाकर गोलियां बना लें। इन्हें खाने से भूख बढ़ती है। इतना ही नहीं, इससे डकार, चक्कर और दस्त में लाभ होता है।

- जीरा उबाल लें और छानकर ठंडा करें। इस पानी से मुंह धोने से आपका चेहरा साफ और चमकदार होगा।

- एक चम्मच जीरा भूनकर रोजाना चबाने से याददाश्त अच्छी रहती है।

- जिनको अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या अन्य सांस संबंधी समस्या है, उन्हें जीरे का नियमित प्रयोग किसी भी रूप में करना चाहिए।

- दक्षिण भारत में लोग अक्सर जीरे का पानी पीते हैं। उनके अनुसार, इसके सेवन से मौसमी बीमारियां नहीं होतीं और पेट भी तंदुरुस्त रहता है।

- 50 ग्राम जीरे में 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीसकर पाउडर बना लें। इसे सुबह-शाम एक चम्मच सेवन करें। बवासीर में आराम मिलेगा।

जीरा एक ऐसा मसाला है जिसके छौंक से दाल और सब्जियों का स्वाद बहुत बढ़ जाता है। चाट का चटपटा स्वाद भी जीरे के बिना अधूरा सा लगता है। अंग्रेजी में इसे क्यूमिन कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम क्यूमिनम सायमिनम है। यह पियेशी परिवार का एक पुष्पीय पौधा है। मुख्यत: पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक इसकी पैदावार अधिक होती है।

दिखने में सौंफ के आकार का दिखाई देने वाला जीरा सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता यह बहुत उपयोगी भी है। यही कारण है कि कई रोगों में दवा के रूप में भी जीरे का उपयोग किया जा सकता है। आइए देखते हैं घरेलू नुस्खे के रूप में किन रोगों के उपचार के लिए जीरा उपयोगी है......

- जीरा आयरन का सबसे अच्छा स्रोत है। इसे नियमित रूप से खाने से खून की कमी दूर हो जाती है। गर्भवती महिलाओं के लिए जीरा अमृत का काम करता है।

- जीरा, अजवाइन, सौंठ, कालीमिर्च, और काला नमक अंदाज से लेकर इसमें घी में भूनी हींग कम मात्रा में मिलाकर खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है। पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

- जीरा, अजवाइन और काला नमक का चूर्ण बनाकर रोजाना एक चम्मच खाने से तेज भूख लगती है।

- 3 ग्राम जीरा और 125 मि.ग्रा. फिटकरी पोटली में बांधकर गुलाब जल में भिगो दें। आंख में दर्द होने पर या लाल होने पर इस रस को टपकाने से आराम मिलता है।

- दही में भुने जीरे का चूर्ण मिलाकर खाने से डायरिया में आराम मिलता है।

- जीरे को नींबू के रस में भिगोकर नमक मिलाकर खाने से जी मिचलाना बंद हो जाता है।

- जीरा में थोड़ा-सा सिरका डालकर खाने से हिचकी बंद हो जाती है।

- जीरे को गुड़ में मिलाकर गोलियां बनाकर खाने से मलेरिया में लाभ होता है।

- एक चुटकी कच्चा जीरा खाने से एसिडिटी में तुरंत राहत मिलती है।

- डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए एक छोटा चम्मच पिसा जीरा दिन में दो बार पानी के साथ लेने से लाभ होता है।

- कब्जियत की समस्या हो तो जीरा, काली मिर्च, सौंठ और करी पाउडर को बराबर मात्रा में लें और मिश्रण तैयार कर लें। इसमें स्वादानुसार नमक डालकर घी में मिलाएं और चावल के साथ खाएं।राहत मिलेगी।

- पके हुए केले को मैश करके उसमें थोड़ा-सा जीरा मिलाकर रोजाना रात के खाने के बाद लें। अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी।

- इसमें एंटीसेप्टिक तत्व भी पाया जाता है। सीने में जमे हुए कफ को बाहर निकलने के लिए जीरे को पीसकर फांक लें। यह सर्दी-जुकाम से भी राहत दिलाता है।

- हींग को उबाल लें। इस पानी में जीरा, पुदीना, नींबू और नमक मिलाकर पिलाने से हिस्टीरिया के रोगी को तत्काल लाभ होता है।

- थायराइड (गले की गांठ) में एक कप पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच जीरा पाउडर मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

- मेथी, अजवाइन, जीरा और सौंफ 50-50 ग्राम और स्वादानुसार काला नमक मिलाकर पीस लें। एक चम्मच रोज सुबह सेवन करें। इससे शुगर, जोड़ों के दर्द और पेट के विकारों से आराम मिलेगा।

- प्रसूति के पश्चात जीरे के सेवन से गर्भाशय की सफाई हो जाती है।

- खुजली की समस्या हो तो जीरे को पानी में उबालकर स्नान करें। राहत मिलेगी।

- एक गिलास ताजी छाछ में सेंधा नमक और भुना हुआ जीरा मिलाकर भोजन के साथ लें। इससे अजीर्ण और अपच से छुटकारा मिलेगा।

- आंवले की गुठली निकालकर पीसकर भून लें। फिर उसमें स्वादानुसार जीरा, अजवाइन, सेंधा नमक और थोड़ी-सी भुनी हुई हींग मिलाकर गोलियां बना लें। इन्हें खाने से भूख बढ़ती है। इतना ही नहीं, इससे डकार, चक्कर और दस्त में लाभ होता है।

- जीरा उबाल लें और छानकर ठंडा करें। इस पानी से मुंह धोने से आपका चेहरा साफ और चमकदार होगा।

- एक चम्मच जीरा भूनकर रोजाना चबाने से याददाश्त अच्छी रहती है।

- जिनको अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या अन्य सांस संबंधी समस्या है, उन्हें जीरे का नियमित प्रयोग किसी भी रूप में करना चाहिए।

- दक्षिण भारत में लोग अक्सर जीरे का पानी पीते हैं। उनके अनुसार, इसके सेवन से मौसमी बीमारियां नहीं होतीं और पेट भी तंदुरुस्त रहता है।

- 50 ग्राम जीरे में 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीसकर पाउडर बना लें। इसे सुबह-शाम एक चम्मच सेवन करें। बवासीर में आराम मिलेगा।