Tuesday, August 16, 2011
संसद कब सर्वोपरि
संसद को शक्ति जनता ने दी है देश में स्वछ एवं स्वस्थ व्यस्थासंचालन के लिए, और यह शक्ति तभी तक हो सकती है जब तक की जनता की संसद और अपने प्रतिनिधियों में आस्था हो ! यदि जनता संसद / या अपने प्रतिनिधियों के खिलाफ हो तो संसद में शक्ति कैसे हो सकती है !आज सारा देश सडको पर है तो संसद सर्वोपरि कहाँ रही ?
Monday, August 15, 2011
लोकतंत्र की परिभाषा :-
जहाँ तक मैं जानता हूँ जो भी मैंने किताबो में पढ़ा है उसके अनुसार लोकतंत्र का मतलब होता है जनता द्वारा जनता का शासन ,लोकतंत्र में सत्ता आम आदमी के हाथ में होती है , पर यहाँ तो लोकतंत्र के मायने कुछ और ही बन कर रह गए है ! ये जो लोग सत्ता में बैठे है ये आम आदमी के सेवक है, इन्हें जो सम्मान, जो शक्ति दी गयी है वो सिर्फ एक स्वस्थ व्यवस्था सञ्चालन के लिए दी गयी है न की आम आदमी का खून चूसने के लिए ! प्रधान मंत्री, हो या जज या कोई भी पुलिस अधिकारी ये आम आदमी की सेवा के लिए है आम आदमी के ,इस देश की जनता के सेवक है पर हम अपने अधिकारों को समझते नहीं और ये लोग ग़लतफ़हमी के शिकार हो गए है की ये हमारे मालिका है ! ये मालिक नहीं नौकर है सेवक है !सही काम नहीं करेंगे तो न पद के अधिकारी है न सम्मान के !
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