सरवाईकल स्पान्डयलोसिस(Cervical Spondylosis)
इधर के कुछ सालों मे अगर हम गौर करें तो सरवाईकल स्पान्डयलोसिस के रोगियों मे बेतहाशा वृद्दि हुयी है। ओ पी डी मे आने वाले रोगियों मे जहाँ इक्का-दुक्का ही रोगी इस रोग के नजर आते थे वहीं अब काफ़ी बडी संख्या इसकी नजर आती है। आयु, वर्ग विशेष से भी अब इसका लेना-देना न रहा। 15 वर्ष की आयु से बढती हुयी उभ्र के लोगों मे यह समस्या आम देखी जा सकती है। इस लेख मे मेरुदंड की संरचना ,इस मशीनी समस्या के कारण, लक्षण और महत्वूर्ण जाँचे, , फ़िजयोथिरेपी और एकयूप्रेशर की उपयोगिता और होम्योपैथिक औषधियों की भूमिका पर एक नजर देखेगें। जहाँ यह लेख आम होम्योपैथिक चिकित्सक की याददाश्त को रिफ़्रेश करेगा वहीं आम लोगों को भी इस समस्या और इससे उत्पन्न होने वाले लक्षणों से बचने के बारे मे भी उपयोगी जानकारी देगा। ( हाँ , एक आवशयक सलाह : आम जन के लिये : इस लेख मे दी गयी फ़िजयोथिरेपी और एकयूप्रेशर की व्यायामों और होम्योपैथिक औषधियों को आजमाने की चेष्टा न करें, आपका चिकित्सक और फ़िजयोथिरेपिस्ट ही आपको सर्वश्रेष्ठ सलाह दे सकता है। )मेरुदण्ड की संरचना:आकृति नं0 1यह एक सम्पूर्ण मेरुदंड की संरचना है , ऊपर दिये चित्र से स्पष्ट है कि मेरुदण्ड के पाँच हिस्से हैं-
- 1-सर्वाईकल (Cervical)
- गर्दन की दर्द और जकडन, गर्दन स्थिर रहना, बहुत कम या न घूमना।
- चक्कर आना ।
- कन्धे का दर्द, कन्धे की जकडन और बाँह की नस का दर्द ।
- ऊगलियों और हथेलियों का सुन्नपन
- गर्दन की दर्द के प्रमुख कारण:
- वजह अनेक लेकिन सार एक, अनियमित और अनियंत्रित लाइफ़ स्टाईल। वजह आप स्वंय खोजें:
- टेढे-मेढे होकर सोना, हमेशा लचक्दार बिछौनों पर सोना, आरामदेह सोफ़ों तथा गद्देदार कुर्सी पर घटो बैठे रहना, सोते समय ऊँचा सिरहाना (तकिया) रखना, लेट कर टी वी देखना ।
- गलत ढंग से वाहन चलाना
- बहुत झुक कर बैठ कर पढना, लेटकर पढना ।
- घटों भर सिलाई, बुनाई, व कशीदा करने वाले लोगों।
- गलत ढंग से और शारीरिक शक्ति से अधिक बोझ उठाना
- व्यायाम न करना और चिंताग्रस्त जीवन जीना।
- संतुलित भोजन न लेना, भोजन मे विटामिन डी की कमी रहना, अधिक मात्रा मे चीनी और मीठाईयाँ खाना।
- गठिया से पीडित रोगी
- घंटों कम्पयूटर के सामने बैठना और ब्लागिगं करना
महत्वपूर्ण जाँचे:
- X-rays
- Computed Tomography
- Magnetic Resonance Imaging
- Myelogram/CT
- Discography
अधिकतर रोगियों मे X-rays ही हकीकत बयान कर देते हैं। सरवाईकल डिस्क मे
आने वाली आम समस्यायें नीचे दिये चित्र से स्पष्ट हो जाती हैं। इनमें
अधिकतर रोगियों मे interverteberal disc spaces का कम हो जाना और
osteophyte का बनना मुख्य है। देखें नीचे आकृति नं0 2
रोग निवारण के लिये प्रचलित उपचार तरीके:
मुसीबत मोल लेने से परहेज बेहतर:
मुसीबत न आये इसलिये यह आवशयक है कि उन मुसीबतों को बुलावा न दिया जाय । पीठ की दर्द के लिये भी यही सावधानियाँ काम आयेगीं। इसलिये निम्म बातों का ध्यान रखें और जीवन सुचारु रुप से जियें:
- जब भी कुर्सी या सोफ़े पर बैठें तो पीठ को सीधी रखें तथा घुटने नितम्बों से ऊँचे होने चाहिये।
- चलते समय शरीर सीधी अवस्था मे होना चाहिये।
- गाडी चलाते समय अपनी पीठ को सीधी रखें।
- कोमल, फ़ोम के गद्दो पर लेटना छोडकर तख्त का प्रयोग करें ।
- घर का काम करते समय पीठ को सीधी रखें।
- गर्दन की सिकाई
1-Cervical diathermy
2-Ultrasound radiations
3-Hot fomentatations
तीव्र दर्द के हालात मे गर्म पानी मे नमक डाल कर सिकाई करें। यह क्रम दिन मे कम 3-4 बार अवश्य करें। दर्द को जल्द आराम देने मे यह काफ़ी लाभदायक है।
तकिये (pillow) की बनावटसिरहाने को लेकर लोगों मे अलग- 2 तरह की भ्रान्तियॉ हैं। सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस से पीडित व्यक्ति या तो तकिया लगाना ही बन्द कर देता है या फ़िर अन्य सहारे का प्रयोग करने लगता है जैसे तौलिये को मोड कर सिर के नीचे रखना। लेकिन यह सब प्रयोग अन्तः उसके लिये नुकसान ही पैदा करते हैं। नीचे दी गयी आकृति न 3 के अनुसार तकिया बनवायें जो बाजार मे बिक रहे सिरहाने की तुलना मे सुविधाजनक रहता है।
Cervical Collar ( सरवाइकल कौलर) और Cervical Traction ( सरवाइकल ट्रेक्शन )सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस के हर रोगी मे कौलर और ट्रेक्शन की आवशयकता नही पडती , लेकिन आजकल इसका प्रयोग कई जगह बेवजह भी होता रहता है। लेकिन रोगी के रोग की वजह के अनुसार इसका महत्व भी है।
जाडे आते ही सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस के रोगियों की समस्यायें बढनी शुरु हो जाती हैं, बाजार मे मिलने वाले कालर के अपेक्षा आम प्रयोग होने वाले मफ़लर को गले मे circular way मे इस तरह बाधें कि गर्दन का घुमाव नीचे की तरफ़ अधिक न हो। देखने मे भी यह अट-पटा नहीं लगता और गर्दन की माँसपेशियों को ठंडक से भी बचाव अच्छी तरह से कर लेता है।
एकयूप्रेशर (Acupressure)बहुत से चिकित्सक संभवत: एकयूप्रेशर की उपयोगिता से सहमत नहीं रहते हैं, लेकिन सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस के कई रोगियों मे मैने इस पद्दति को बखूबी आजमाया है , भले ही यह कारणों को दूर करने मे सक्षम न हो लेकिन दर्द की तीव्रता को यह काफ़ी जल्द आराम दे देती है। सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस मे प्रयुक्त होने वाले व्यायामों के चित्र यहाँ दिये हैं, जिन एक्यूप्रेशर व्यायामों को मै अक्सर प्रयोग कराता हूँ उनके चित्र नीचे दिये हैं।
सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस मे फ़िजयोथिरेपी की भूमिका:सरवाईकल व्यायाम दर्द की तीव्रता को घटाते हैं ही साथ मे अकडे हुये जोडों और माँसपेशियों को भी सही करते हैं ।
मूलत: दो प्रकार के व्यायामों पर सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस मे जोर रहता है:
1-Range of motion exercises
2-Isometric exercises
Range of motion exercises
नीचे दी हुयी आकृति motion exercises को स्पष्ट कर रही है:
-
अपने सिर को दायें तरफ़ कन्धे तक झुकायें , थोडा रूकें और तत्पश्चात मध्य मे लायें। यही क्रम बायें तरफ़ भी करें।
2-थोरॅसिक (Thoracic)
3-लम्बर (Lumbar)
4-सैकरम (Sacrum)
5-कौसिक्स (coccyx)
सर्वाईकल स्पाईन मेरुदण्ड की पाँच वर्टीबरी से मिल कर बनी होती है। C1-C7 जहाँ C सरवईकल का सूचक है। C1 सिर के पृष्ठ भाग के और C7 स्पाइन के थोरेसिक हिस्से से सटी रहती है।
लक्षण और कारणरोग के लक्षण कोई आवशयक नहीं कि सिर्फ़ गर्दन की दर्द और जकडन को ही लेकर आयें। विभिन्न रोगियों मे अलग -2 तरह के लक्षण देखे जाते हैं:
- अपनी ठुड्डी ( chin) को सीने की तरफ़ झुकायें, रुकें,तत्पश्चात सिर को पीछे ले जायें।
- अपने सिर को बायें तरफ़ के कान की तरफ़ मोडें, रुकें और तत्पश्चात मध्य मे लायें। यही क्रम बायें तरफ़ भी करें।
- Isometric exercises
- अपने माथे को हथेलियों पर दबाब दे और सर को अपनी जगह से हिलने न दें।
- अपनी हथेलियों का दबाब सिर के बायें तरफ़ दे और सिर को हिलने न दें। यही क्रम दायें तरफ़ भी करें।
- अपनी दोनों हथेलियों का दबाब सिर के पीछे दें और सिर को स्थिर रखें।
- अपनी हथेलियों का दबाब माथे पर दें और सिर को स्थिर रखें।
एक सपाट बिस्तर या फ़र्श पर बिना तकिये के पीठ के बल लेट जाएँ. फिर अपनी गर्दन को जितना संभव हो सके उतना धीरे धीरे ऊपर उठाते जाएँ. ध्यान रहे, पीठ का हिस्सा न उठे. गहरी से गहरी सांस भीतर खींचें. फिर उतने ही धीरे धीरे गर्दन नीचे करते जाएँ. सांस धीरे धीरे छोड़ें और पूरी ताकत से अंदर फेफड़े की हवा बाहर फेंकें. यह व्यायाम कम से कम एक दर्जन बार, सुबह-शाम करें. इस व्यायाम से आपके गर्दन की मांसपेशियों को ताकत मिलती है तथा इसके परिणाम आपको पंद्रह दिवस के भीतर मिलने लगेंगे. नियमित व्यायाम से गर्दन दर्द से पीछा छुड़ाया जा सकता है.
होम्योपैथी चिकित्सा (Homeopathic Treatment)जहाँ बाकी चिकित्सा पद्धतियाँ विशेष कर एलोपैथी चिकित्सा पद्धति सिर्फ़ दर्दनाशक औषधियों तक ही सीमित रहती हैं, वहीं होम्योपैथी रोग के मूलकारण और उससे उत्पन्न होनी वाली समस्यायों को दूर करने मे सक्षम है। एक होम्योपैथिक चिकित्सक को सरवाईकल रोगों मे न सिर्फ़ औषधि के चयन बल्कि रोग को management करने के तरीको के बारे मे भी अच्छी तरह जानना चाहिये। आप का दृष्टिकोण समय के साथ चले , इसी मे इस पद्दति की सफ़लता निहित होगी।
सबसे पहले लेते हैं सरवाईकल रोग की थेरापियूटिक्स (therapeuctics) सेक्शन की , उसके बाद रिपरटारजेशन (repertorisation) की।
- थेरापियूटिक्स (therapeuctics)
Therapeuctics को देखें।
- Intervertebreal spaces के कम हो जाने और osteophyte के बन जाने पर –hekla lava, calc fl, phos
- गर्दन की अकडन दर्द के सथ–actae racemosa, rhus tox, cocculus ind
- Neurological लक्षणों के साथ, हाथ और ऊँगलियों का सुन्नपन्न–Kalmia,Parrirera brava,
- दर्द का वेग एक या दोनो हाथों मे जाना—kalmia,nux
- चक्कर के साथ—conium,cocculus ind
- न सहन करने योग्य पीडा–gaultheria,stellaria media,colchichum
सरवाईकल रोगों मे रिपरटारजेशन (repertorisation) करने के आसान सुझाव:
- General symptoms को सबसे पहले वरीयता क्रम मे डालें; तत्पश्चात् particular और common symptoms का नम्बर लगायें। किसी भी रोग मे rare , characteristic और striking लक्षणों को तलाशने की कोशिश करें।
- computerised repertorisation क्यों आज की आवश्यकता है इसके लिये यहाँ देखें ।
- पुराने और जटिल रोगों (chronic diseases) मे case taking लेने का आसान सा तरीका यहाँ उपलब्ध है, समय -2 पर इसको और भी आसान बनाने की कोशिश की गयी है, इसको यहाँ देखें ।
- सही तरीकों से लक्षणों को लेना क्यों होम्योपैथी मे आवशयक है , इसके लिये यह भी देखें ।
- नये होम्योपैथिक चिकित्सकों को रुबरिक्स(rubrics) बनाने मे या रडार, क्लासिक 8 या मर्क्यूरिस के साफ़्ट्वेएर मे लक्षणों डालने मे समस्या हो तो आरकुट मे चल रही Revolutionized Homoeopathy से सम्पर्क करें। डा प्रवीन, डा शशिकान्त, मै और अन्य आपकी सहायता के लिये हमेशा तत्पर मिलेगें।
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