Thursday, September 26, 2013
Wednesday, September 25, 2013
आयुर्वेदिक दोहे- रोग उपचार
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By बिकाऊ मीडिया छोड़ो :- फेसबुक समाचार पड़ो
आयुर्वेदिक दोहे ---------
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1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय।
दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।।
2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह में डाल। मुँह
में छाले हों अगर,दूर होंय
... तत्काल।।
3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। खायें
उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।।
4.छिलका लेंय इलायची,दो या तीन गिराम। सिर
दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम।।
5.अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय।
बार-बार तिल पर घिसे,तिल बाहर आ जाय।।
6.गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार।
सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।।
7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय। दूर
करेगा अर्श को,जो भी इसको खाय।।
8.रस अनार की कली का,नाकबूँद दो डाल। खून
बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।
9.भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमक मिलाय।
चक्कर आना बंद हों,जो भी इसको खाय।।
10.मूली की शाखों का रस,ले निकाल सौ ग्राम।
तीन बार दिन में पियें,पथरी से
आराम।।
11.दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग
पी जाय। पथरी केवल बीस दिन,में गल बाहर
जाय।।
12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिलाय।
पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय।।
13.सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औ शाम।
दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।।
14.एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलाइ।
चीनी सँग लें बीस दिन,पथरी दे न दिखाइ।।
15.खीरे का रस लीजिये,कुछ दिन तीस ग्राम।
लगातार सेवन करें, पथरी से आराम।।
16.बैगन भुर्ता बीज बिन,पन्द्रह दिन गर खाय।
गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर आय।।
17.लेकर कुलथी दाल को,पतली मगर बनाय।
इसको नियमित खाय तो,पथरी बाहर आय।।
18.दामिड़(अनार) छिलका सुखाकर,पीसे चूर
बनाय। सुबह-शाम जल डालकम, पी मुँह बदबू
जाय।।
19. चूना घी और शहद को, ले सम भाग मिलाय।
बिच्छू को विष दूर हो, इसको यदि
लगाय।।
20. गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय।
तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट
जाय।।
21. अदरक रस मधु(शहद) भाग सम, करें अगर
उपयोग। दूर आपसे होयगा, कफ औ खाँसी
रोग।।
22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम।
पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल का
आराम।।
23.बहुत सहज उपचार है, यदि आग जल जाय।
मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय।।
24.रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करें भुरकाव।
जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव।।
25.नीम-पत्र के चूर्ण मैं, अजवायन इक ग्राम।
गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से
आराम।।
26.दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात।
रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो
प्रात।।
27.मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम।
पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई
हकीम।।
28.हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय, पंचम
जीरा डालकर सुमिरन काया होय॥
29.सावन में गुड खावै, सो मौहर बराबर होवे
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1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय।
दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।।
2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह में डाल। मुँह
में छाले हों अगर,दूर होंय
... तत्काल।।
3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। खायें
उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।।
4.छिलका लेंय इलायची,दो या तीन गिराम। सिर
दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम।।
5.अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय।
बार-बार तिल पर घिसे,तिल बाहर आ जाय।।
6.गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार।
सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।।
7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय। दूर
करेगा अर्श को,जो भी इसको खाय।।
8.रस अनार की कली का,नाकबूँद दो डाल। खून
बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।
9.भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमक मिलाय।
चक्कर आना बंद हों,जो भी इसको खाय।।
10.मूली की शाखों का रस,ले निकाल सौ ग्राम।
तीन बार दिन में पियें,पथरी से
आराम।।
11.दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग
पी जाय। पथरी केवल बीस दिन,में गल बाहर
जाय।।
12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिलाय।
पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय।।
13.सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औ शाम।
दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।।
14.एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलाइ।
चीनी सँग लें बीस दिन,पथरी दे न दिखाइ।।
15.खीरे का रस लीजिये,कुछ दिन तीस ग्राम।
लगातार सेवन करें, पथरी से आराम।।
16.बैगन भुर्ता बीज बिन,पन्द्रह दिन गर खाय।
गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर आय।।
17.लेकर कुलथी दाल को,पतली मगर बनाय।
इसको नियमित खाय तो,पथरी बाहर आय।।
18.दामिड़(अनार) छिलका सुखाकर,पीसे चूर
बनाय। सुबह-शाम जल डालकम, पी मुँह बदबू
जाय।।
19. चूना घी और शहद को, ले सम भाग मिलाय।
बिच्छू को विष दूर हो, इसको यदि
लगाय।।
20. गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय।
तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट
जाय।।
21. अदरक रस मधु(शहद) भाग सम, करें अगर
उपयोग। दूर आपसे होयगा, कफ औ खाँसी
रोग।।
22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम।
पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल का
आराम।।
23.बहुत सहज उपचार है, यदि आग जल जाय।
मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय।।
24.रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करें भुरकाव।
जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव।।
25.नीम-पत्र के चूर्ण मैं, अजवायन इक ग्राम।
गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से
आराम।।
26.दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात।
रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो
प्रात।।
27.मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम।
पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई
हकीम।।
28.हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय, पंचम
जीरा डालकर सुमिरन काया होय॥
29.सावन में गुड खावै, सो मौहर बराबर होवे
Monday, September 9, 2013
Who is responsible for muzaffar nagar riots?( जिम्मेवार कौन मुज़फ्फर नगर दंगो का ?)
असल मे ज़िम्मेवार कौन है इस हिंसा का ? सही मे काहु तो आप पत्रकार लोग ,अगर आपने पहले दिनसे ये खबर दिखाई होती तो ये दंगा इस हद तक नही जाता ,जानते है . क्योंकि एक तो लोगो तक सही जानकारी पहुँचती, जिससे लोग अफवाहों पर ध्यान नही देते ! पर आप लोग वही दिखाते हो जो आपको दिखाने को कहा जाता है ,सच कहूँ तो आप रिपोर्टिंग नही करते आप नौकरी करते हो ! ,
ईमान दारी से अपने दिल पे हाथ रखकर कहो एकबार अगर पहले दिन उन लोगो पर कार्यवाही होती जिन्होने उस लड़की को छेड़ा था ! या उन पर कार्यवाही होती जिन्होने मुस्लिम लड़के की हत्या किी थी ! या एक तरफ़ा कार्यवाही के चलते हो रहे विरोध को देख वहां से पुलिस अधीक्षक को हटा दिया होता तो क्या दंगा बढ़ता ?
शायद कभी नही !
अब ये बताओ क्या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने अपने पत्रकारिता धर्म को निभाया ?
क्या किसी चैनल ने आपने चैनल पर इसकी रिपोर्टिंग की ? नहीं की!
शायद की होती तो वो बेचारा पत्रकार भी नही मरता !
और वो नही मरता तो जो थोडा बहुत ये लोग दिखा रहे हो वो भी नही दिखाते !
ज़िम्मेवार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बराबर का है जितने जिम्मेवार ये नेता है ,प्रशासन है जिन्हें ऐसी परस्थितियो में किसी से आदेश की जरुरत नहीं थी!
फिर भी वो अपने राजनितिक आकाओ की और देखते रहे!
क्या किसी मीडिया चैनल ने उन पुलिसवालो से पूछा की उन्होने गोली क्यो नही चलाई जिनके सामने लोगो को काटा जा रहा था !जिन्होने कहा हमारे हाथ बँधे है ! क्या अगर पुलिस की और से सहायता मिलती , गोलियाँ चलती तो ये दंगा आगे बढ़ता ? नही कभी नहीं
पुलिस ने गोलिया इसलिए नही चलाई क्यो उन्हे मन किया गया था! वरना ऐसी नौबत कभी नही आती की सेना बुलानी पड़ती ! सेना बुलाने का मतलब सिर्फ़ ये है की प्प्रसाशन को मन किया गया था कुछ करने से !
वो तो मजबूरी थी ! नेताओ का दबाब था पर मीडिया ने ये सब रिपोर्ट क्यो नही किया ?
इनकी क्या मजबूरी थी !
ये लोग रिपोर्ट करते तो नेताओ पर दबाब बनता ! प्रससन पर दबाब बनता पर पत्रकारिता ने ऐसा नही किया ! सवाल है क्यो नही किया ?
उन धार्मिक स्थलो की जानकारी .क्यो नही किसी चैनल पर नहीं दी गयी जहाँ से हथियार मिले है उन लोगो के विरुद्ध मुक़दमे क्यो नही जिन्होने वापस लौटते लोगो पर हमला किया था?
सवाल बहुत है पर पत्रकारों से प्रार्थना है अपने दिल से पूछे क्या प्रशासन ने पहले दिन से सही . किया है यदि नही तो क्या आपने . दायित्व का पालन किया है ?जनता का विश्वास उठ चूका है प्रशासन और सरकार से इसी का नतीजा है की वो अपना बदला खुद लेने को आमादा है जनता में विशवास लाना होगा प्रशासन के प्रति ,विधि का शासन लाना होगा !
. जो हो रहा है दमनकारी है तुष्टिकरण से पूर्ण है इससे शांति नही आएगी ,
ईमान दारी से अपने दिल पे हाथ रखकर कहो एकबार अगर पहले दिन उन लोगो पर कार्यवाही होती जिन्होने उस लड़की को छेड़ा था ! या उन पर कार्यवाही होती जिन्होने मुस्लिम लड़के की हत्या किी थी ! या एक तरफ़ा कार्यवाही के चलते हो रहे विरोध को देख वहां से पुलिस अधीक्षक को हटा दिया होता तो क्या दंगा बढ़ता ?
शायद कभी नही !
अब ये बताओ क्या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने अपने पत्रकारिता धर्म को निभाया ?
क्या किसी चैनल ने आपने चैनल पर इसकी रिपोर्टिंग की ? नहीं की!
शायद की होती तो वो बेचारा पत्रकार भी नही मरता !
और वो नही मरता तो जो थोडा बहुत ये लोग दिखा रहे हो वो भी नही दिखाते !
ज़िम्मेवार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बराबर का है जितने जिम्मेवार ये नेता है ,प्रशासन है जिन्हें ऐसी परस्थितियो में किसी से आदेश की जरुरत नहीं थी!
फिर भी वो अपने राजनितिक आकाओ की और देखते रहे!
क्या किसी मीडिया चैनल ने उन पुलिसवालो से पूछा की उन्होने गोली क्यो नही चलाई जिनके सामने लोगो को काटा जा रहा था !जिन्होने कहा हमारे हाथ बँधे है ! क्या अगर पुलिस की और से सहायता मिलती , गोलियाँ चलती तो ये दंगा आगे बढ़ता ? नही कभी नहीं
पुलिस ने गोलिया इसलिए नही चलाई क्यो उन्हे मन किया गया था! वरना ऐसी नौबत कभी नही आती की सेना बुलानी पड़ती ! सेना बुलाने का मतलब सिर्फ़ ये है की प्प्रसाशन को मन किया गया था कुछ करने से !
वो तो मजबूरी थी ! नेताओ का दबाब था पर मीडिया ने ये सब रिपोर्ट क्यो नही किया ?
इनकी क्या मजबूरी थी !
ये लोग रिपोर्ट करते तो नेताओ पर दबाब बनता ! प्रससन पर दबाब बनता पर पत्रकारिता ने ऐसा नही किया ! सवाल है क्यो नही किया ?
उन धार्मिक स्थलो की जानकारी .क्यो नही किसी चैनल पर नहीं दी गयी जहाँ से हथियार मिले है उन लोगो के विरुद्ध मुक़दमे क्यो नही जिन्होने वापस लौटते लोगो पर हमला किया था?
सवाल बहुत है पर पत्रकारों से प्रार्थना है अपने दिल से पूछे क्या प्रशासन ने पहले दिन से सही . किया है यदि नही तो क्या आपने . दायित्व का पालन किया है ?जनता का विश्वास उठ चूका है प्रशासन और सरकार से इसी का नतीजा है की वो अपना बदला खुद लेने को आमादा है जनता में विशवास लाना होगा प्रशासन के प्रति ,विधि का शासन लाना होगा !
. जो हो रहा है दमनकारी है तुष्टिकरण से पूर्ण है इससे शांति नही आएगी ,
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