तिरंगे में हरा रंग -हरी सिंह नलवा से ,
तिरंगे का हरा रंग इस्लाम से जोड़ने वाले गलत हैं,
सच ये है कि तिरंगे में रंग हरा है हरी सिंह नलवे से...
1791 में जन्मे हरी सिंह नलवा 'बाघ मार' के नाम से प्रसिद्ध थे.
ऐसा प्रतापी पुरुष की आज भी अफगान माताएँ अपने बालक को नलवा के नाम से डराती है|
हरीसिंह नलवा महाराजा रणजीत सिंह के सेनापति थे |हरि सिंह नलवा का जन्म गुजरांवाला में पिता गुरदयाल सिंह उप्पल के घर हुआ था। पेशावर, मुल्तान और कंधार, हैरत, कलात, बलूचिस्तान और फारस आदि पर नलवा ने जीत कर राजा रणजीत सिंह के राज्य सीमा के विजय अभियान में शामिल कर दिया | मुल्तान विजय में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी |
आज जो ये पठान औरतो जैसे बुर्के पहनते है, ये भी नलवा के पहनाये हुए है | जब पठानों ने आक्रमण किया और हिन्दू महिलाओ के साथ दुर्व्यवहार करने की कोशिस की तब नलवा ने पठानों को परास्त कर उन्हें महिलाओ के कपडे पहना कर वापिस भेजा था | जिसे आज ये पठान बड़े चाव के साथ पहनते है |
पठान नलवा का नाम सुनकर कांप जाते थे और उसे देखकर ही युद्ध मैदान से दबे पाँव भाग जाते थे | नलवा का नाम सुनते ही पठानों की सेना में भगदड़ मचा जाती थी | अगर हम पाकिस्तान के नार्थ ईस्ट फ्रंटियर के कबीलाई (ग्रामीण) इलाकों में जाएं तो नलवा का खौफ साफ दिखाई देता है। जब कोई बच्चा रोता है तो मां उसे चुप कराने के लिए कहती है-‘सा बच्चे हरिया रागले’ अर्थात सो जा बच्चे नहीं तो हरी सिंह नलवा आ जाएगा। 1837 के जमरूद के युद्ध में अफगानियों के विरुद्ध हरी सिंह गम्भीर रूप से घायल हो गए और देश पर बलिदान हुए...
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