आर्याव्रत जम्बोद्विप भारतः पोस्ट क्रमांक (1) प्राचिन भारत।
आज के पोष्ट मे मै हमारे धर्मग्रंथो मे वर्नीत भारत के बारे मे बताउंगा,क्योकि भारत इस नाम मे हि हमारे देश की सीमा का रहस्य छूपा है।
हमारे धर्मग्रंथो मे धरती पर भूलोक ही आर्यो के रहने का स्थल बताया गया है और सम्पूर्न धरती पर आर्य और अनार्य का वर्नन है, आर्यो के लीए भूलोक और अनार्यो के लीए पताल लोक का वर्नन है।
हमारे धर्मग्रंथो मे धरती पर भूलोक के अतीरिक्त 7 लोको का वर्नन किया गया है, पहला लोक (1) आरम्भीक तल या अतल दूसरा ( 2 ) वितल (3) नितल (4) गभस्तिमान (5) महातल (6) सुतल (7) पताल।
धरती का वो हीस्सा जहा प्रतीदिन सूर्य प्रकाश दिखाइ देता है उसे भूलोक ( प्रकाश लोक) कहा गया है, संस्कृत मे भ "भू, भो"भा, ये शब्द का इस्तेमाल प्रकाश के लीए किया गया है क्योकि ये शब्द संस्कृत मे वर्नीत भ धातू से लीए गए है जीसका मतलब होता है प्रकाश, भ धातू के इस्तेमाल से बने दूसरे शब्द है भोर-- भ + ओर अर्थ प्रकाश की ओर दूसरा शब्द है भारत (प्रकाशरत) मतलब साफ है आर्यो का जम्बोद्विप धरती का वह हिस्सा है जहा नीयमीत रूप से प्रतीदिन सूर्योदय होता है, धरती का वह हिस्सा प्रकाशरत है और प्रकाश संस्कृत के भ धातू से बने भा शब्द है तो भा ( प्रकाश) रत मतलब भारत हूआ।
हमारे धर्मग्रंथ रामायन जो आज से 17 लाख 25 हजार वर्ष पहले हूआ ( नए पाठको से अनूरोध है कमेंट मे श्रीराम जी का पोस्ट लींक है उसे OPEN करके पढे जरूर) उसमे आपने पढा होगा आर्याव्रत जम्बोद्विप भारत खंडे नगरी अयोध्या राम की, मतलब हूआ आर्याव्रत जम्बोद्विप भारत खंड मे राम की अयोध्या नाम की नगरी है,रामायन मे वर्नीत ये वाक्य शीद्ध करता है कि हमारे देश का नाम भारत भगवान श्रीराम के पहले से है और यदि आप जम्बोद्विप का भौगोलीक छेत्रफल देखेंगे तो आप पाएंगे कि आज का भारत एशीया अरब अफ्रिका आस्ट्रेलीया और यूरोप के जो छेत्र जम्बोद्विप का हिस्सा थे उन सभी छेत्रो मे नीयमीत सूर्योदय होता है वो सभी छेत्र प्रकाशरत है मतलब भारत है।
अगले पोस्ट मे मै आपको बताउंगा कि जम्बोद्विप पर कौन सी जाती, कौन सा धर्म और क्या जीवीका कर्म था।
आज के पोष्ट मे मै हमारे धर्मग्रंथो मे वर्नीत भारत के बारे मे बताउंगा,क्योकि भारत इस नाम मे हि हमारे देश की सीमा का रहस्य छूपा है।
हमारे धर्मग्रंथो मे धरती पर भूलोक ही आर्यो के रहने का स्थल बताया गया है और सम्पूर्न धरती पर आर्य और अनार्य का वर्नन है, आर्यो के लीए भूलोक और अनार्यो के लीए पताल लोक का वर्नन है।
हमारे धर्मग्रंथो मे धरती पर भूलोक के अतीरिक्त 7 लोको का वर्नन किया गया है, पहला लोक (1) आरम्भीक तल या अतल दूसरा ( 2 ) वितल (3) नितल (4) गभस्तिमान (5) महातल (6) सुतल (7) पताल।
धरती का वो हीस्सा जहा प्रतीदिन सूर्य प्रकाश दिखाइ देता है उसे भूलोक ( प्रकाश लोक) कहा गया है, संस्कृत मे भ "भू, भो"भा, ये शब्द का इस्तेमाल प्रकाश के लीए किया गया है क्योकि ये शब्द संस्कृत मे वर्नीत भ धातू से लीए गए है जीसका मतलब होता है प्रकाश, भ धातू के इस्तेमाल से बने दूसरे शब्द है भोर-- भ + ओर अर्थ प्रकाश की ओर दूसरा शब्द है भारत (प्रकाशरत) मतलब साफ है आर्यो का जम्बोद्विप धरती का वह हिस्सा है जहा नीयमीत रूप से प्रतीदिन सूर्योदय होता है, धरती का वह हिस्सा प्रकाशरत है और प्रकाश संस्कृत के भ धातू से बने भा शब्द है तो भा ( प्रकाश) रत मतलब भारत हूआ।
हमारे धर्मग्रंथ रामायन जो आज से 17 लाख 25 हजार वर्ष पहले हूआ ( नए पाठको से अनूरोध है कमेंट मे श्रीराम जी का पोस्ट लींक है उसे OPEN करके पढे जरूर) उसमे आपने पढा होगा आर्याव्रत जम्बोद्विप भारत खंडे नगरी अयोध्या राम की, मतलब हूआ आर्याव्रत जम्बोद्विप भारत खंड मे राम की अयोध्या नाम की नगरी है,रामायन मे वर्नीत ये वाक्य शीद्ध करता है कि हमारे देश का नाम भारत भगवान श्रीराम के पहले से है और यदि आप जम्बोद्विप का भौगोलीक छेत्रफल देखेंगे तो आप पाएंगे कि आज का भारत एशीया अरब अफ्रिका आस्ट्रेलीया और यूरोप के जो छेत्र जम्बोद्विप का हिस्सा थे उन सभी छेत्रो मे नीयमीत सूर्योदय होता है वो सभी छेत्र प्रकाशरत है मतलब भारत है।
अगले पोस्ट मे मै आपको बताउंगा कि जम्बोद्विप पर कौन सी जाती, कौन सा धर्म और क्या जीवीका कर्म था।
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