अलग-अलग दिशाओं में अलग-अलग पेड़ों के प्रभाव -
आपके घर के आसपास अगर प्राकृतिक रूप से पेड़ उग जाएं या ऐसे पेड़ों की
छाया घर पर पड़े, तो उनका प्रभाव क्या हो सकता है, इसका विश्लेषण भी वास्तु
शास्त्र में बखूबी किया गया है, जैसे-घर के आगे और पीछे कांटे वाले पेड़
या दूध वाले कैक्टस के पेड़ लगाने से शत्रु का भय और धन का नाश होता है और
किसी फलहीन पेड़ की छाया घर पर दोपहर बाद पड़े, तो रोग और अचानक कष्टों का
सामना करना पड़ता है।
पूर्व दिशा
अगर घर की पूर्व दिशा में पीपल का पेड़ लगा हो, तो घर में भय और निर्धनता
व्याप्त हो सकती है। घर के पूर्व में बरगद का पेड़ मनोकामना पूरी करता है।
अग्निकोण में अनार का पेड़ शुभ फल देता है, लेकिन इस दिशा में वट, पीपल,
पाकड़ और गूलर का पेड़ पीड़ादायक और मृत्युतुल्य कष्ट देता है। दक्षिण दिशा
में पाकड़ और कांटेदार पेड़ होने से घर में रोग और मुकदमे में हार होती
है।
दक्षिण दिशा
दक्षिण में गूलर का पेड़ शुभ फलदायक
होता है। घर के पिछवाड़े या दक्षिण की ओर फलदार वृक्ष शुभ होते हैं। पश्चिम
दिशाघर के पश्चिम में आम और वट वृक्ष होने से सरकारी मुकदमे, घर की औरतों
को तकलीफ, बच्चों को तकलीफ और चोरों द्वारा धन नाश होता है।
उत्तर दिशा
उत्तर में गूलर और नींबू का पेड़ आंखों की बीमारी देता है। पूर्व और उत्तर
दिशा में फलदार पेड़ लगाने से संतान पीड़ा या बुद्धि का नाश होता है।
तुलसी का पौधा तुलसी का पौधा हमेशा घर के पूर्व या उत्तर की ओर ही लगाना
चाहिए। दक्षिण में तुलसी कठोर यातना और कारागार का भय देती है।
फर्नीचर
के लिए लकड़ीघर का निर्माण करते समय किस प्रकार की लकड़ी घर के फर्नीचर
आदि में लगानी चाहिए, इसका उल्लेख आचार्य वराह मिहिर ने अपनी पुस्तक 'वराही
संहिता' में किया है। उन्होंने लिखा है कि श्मशान के आसपास लगे पेड़, मेन
रोड के आसपास लगे पेड़, देव मंदिर में लगे वृक्ष, दीमक या बिजली गिरने से
कटे हुए पेड़, आंधी से उखड़े हुए वृक्ष और साधु-संतों के आश्रम में लगे हुए
पेड़ काटकर कभी भी घर का फर्नीचर, दरवाजे और खिड़कियां आदि नहीं बनाने
चाहिए।
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