Monday, September 9, 2013

Who is responsible for muzaffar nagar riots?( जिम्मेवार कौन मुज़फ्फर नगर दंगो का ?)


 असल मे ज़िम्मेवार कौन है इस हिंसा का ? सही मे काहु तो आप पत्रकार लोग ,अगर आपने पहले दिनसे  ये खबर दिखाई होती तो ये दंगा इस हद तक नही जाता ,जानते है . क्योंकि एक तो लोगो तक सही जानकारी पहुँचती, जिससे लोग अफवाहों  पर ध्यान नही देते ! पर आप लोग वही दिखाते हो जो आपको दिखाने को कहा जाता है ,सच कहूँ तो आप रिपोर्टिंग नही करते आप नौकरी करते हो !  ,
ईमान दारी से अपने दिल पे हाथ रखकर कहो एकबार अगर पहले दिन उन लोगो पर  कार्यवाही होती जिन्होने उस लड़की को छेड़ा था ! या उन पर कार्यवाही होती जिन्होने मुस्लिम लड़के की हत्या किी थी ! या एक तरफ़ा कार्यवाही के चलते हो रहे विरोध को देख वहां से पुलिस अधीक्षक को हटा दिया होता तो क्या दंगा बढ़ता ?
शायद कभी नही !
अब ये बताओ क्या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने अपने पत्रकारिता धर्म को निभाया ?
क्या किसी चैनल ने आपने  चैनल पर इसकी रिपोर्टिंग की  ? नहीं की!
 शायद की होती तो वो बेचारा पत्रकार भी नही मरता !
और वो नही मरता तो जो  थोडा बहुत ये लोग  दिखा रहे हो वो भी नही दिखाते !
ज़िम्मेवार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बराबर का है जितने जिम्मेवार ये नेता है ,प्रशासन है जिन्हें ऐसी परस्थितियो में किसी से आदेश  की जरुरत नहीं थी!
 फिर भी वो अपने राजनितिक आकाओ की और देखते रहे!

क्या किसी मीडिया चैनल ने उन पुलिसवालो से पूछा की उन्होने गोली क्यो नही चलाई जिनके सामने लोगो को काटा जा रहा था !जिन्होने कहा हमारे हाथ बँधे है ! क्या अगर पुलिस की और से सहायता मिलती , गोलियाँ चलती तो ये दंगा आगे बढ़ता ? नही कभी नहीं
पुलिस ने  गोलिया इसलिए नही चलाई क्यो उन्हे मन किया गया  था! वरना ऐसी नौबत कभी नही आती की सेना बुलानी पड़ती ! सेना बुलाने का मतलब सिर्फ़ ये है की प्प्रसाशन को मन किया गया था कुछ करने से !
वो तो मजबूरी थी ! नेताओ का दबाब था पर मीडिया ने ये सब  रिपोर्ट क्यो नही किया ?
इनकी क्या मजबूरी थी  !
ये लोग  रिपोर्ट करते तो नेताओ पर दबाब बनता ! प्रससन पर दबाब बनता पर पत्रकारिता  ने ऐसा नही किया ! सवाल है क्यो नही किया ?
उन धार्मिक स्थलो की जानकारी .क्यो नही किसी चैनल पर नहीं दी गयी जहाँ से हथियार मिले है उन लोगो के विरुद्ध मुक़दमे क्यो नही जिन्होने वापस लौटते लोगो पर हमला किया था?
सवाल बहुत है  पर पत्रकारों से प्रार्थना है अपने दिल से पूछे क्या प्रशासन ने पहले दिन से सही . किया है यदि नही तो क्या आपने . दायित्व का पालन किया है ?जनता का विश्वास उठ चूका है प्रशासन और सरकार से इसी का नतीजा है की वो अपना बदला खुद लेने को आमादा है   जनता में विशवास लाना होगा प्रशासन के प्रति ,विधि का शासन लाना होगा !
. जो हो रहा है दमनकारी है तुष्टिकरण से पूर्ण है  इससे शांति नही आएगी ,

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